सोचते हैं क्या किया जा सकता है इस विषय में सोचते हैं क्या किया जा सकता है इस विषय में
पता नहीं आज का दिन ही कैसा रहेगा, भैयाजी को छोड़कर अब तक कोई ग्राहक ही नहीं आया। पता नहीं आज का दिन ही कैसा रहेगा, भैयाजी को छोड़कर अब तक कोई ग्राहक ही नहीं आया।
अपाहिज हरिया की मौत हो गई हैl लोगो एक चादर बिछा कर, उसके कफन का इंतज़ामतो कर दिया, पर हरिया अपने पीछ... अपाहिज हरिया की मौत हो गई हैl लोगो एक चादर बिछा कर, उसके कफन का इंतज़ामतो कर दिय...
लेखक: निकोलाय नोसव अनु. : आ. चारुमति रामदास लेखक: निकोलाय नोसव अनु. : आ. चारुमति रामदास
आखिरकार चित्रकार का चित्र पूरा हुआ जिसमें अँधा भिखारी अपने काले चश्में को जरा-सा ऊपर करके अपनी नज़रों... आखिरकार चित्रकार का चित्र पूरा हुआ जिसमें अँधा भिखारी अपने काले चश्में को जरा-सा...
समय की आग में बहुत कुछ बदल जाता है। नहीं बदलती है तो बस ज़िंदगी की जद्दोजहद। कोहरे की तरह यह ज़िंदगी क... समय की आग में बहुत कुछ बदल जाता है। नहीं बदलती है तो बस ज़िंदगी की जद्दोजहद। कोहर...